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60. साधना तो हो पर शक्त्यानुसार
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59. परीक्षको ने मानी हार
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58. पिण्ड-हरण से हुआ अंतराय
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57. कान खड़े हो गये
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56. श्रेष्ठ हैं गुरु चरण
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55. क्षुल्लक पूर्णसागर बने मुनि विराग
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54. मेरा सिद्धांत गुरु से छल नहीं
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53. निश्छल वृत्ति तुझे बनायेगी महान
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52. गुण ग्राहक दृष्टी
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51. मिली नि:स्वार्थ धर्मपरायणता की झलक
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50. खुन्खार कुता हुआ शांत
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49. मैं घर क्यों छोड़ता
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