à¤à¤• बार कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी का सनॠ1982 कारंजा में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ खराब हो गया था सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ हो गई कि न तो कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का आहार होता, न ही निदà¥à¤°à¤¾ आती। फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª कमजोरी बढ़ती जा रही थी। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी की अवसà¥à¤¥à¤¾ देख à¤à¤• वृदà¥à¤§ अमà¥à¤®à¤¾ आयी और कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी से बोली- महाराज! आपको जो वसà¥à¤¤à¥ खाने में रà¥à¤šà¤¿à¤•à¤° हो, मà¥à¤à¥‡ धीरे से बता दें, मैं किसी से नहीं कहूà¤à¤—ी व आप जो बताà¤à¤ मैं वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ बनाऊà¤à¤—ी, जिससे आपका आहार ठीक होगा और आहार ठीक होने से सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठà¤à¥€ होगा कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी अमà¥à¤®à¤¾ की बातों को सà¥à¤¨à¤•à¤° मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡ और बोले- अमà¥à¤®à¤¾! मेरा शरीर कमजोर है वैरागà¥à¤¯ नहीं । जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤ रूपी à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही मेरे लिठसà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤¦à¥ à¤à¥‹à¤œà¤¨ है। इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विषयों के पोषण के लिठमैंने दीकà¥à¤·à¤¾ नहीं ली, साधॠतो साधॠहोते हैं सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥ नहीं, आपको तो मेरी साधना से संबल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर साधक बनना चाहिà¤à¥¤ अमà¥à¤®à¤¾ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का उतà¥à¤¤à¤° सà¥à¤¨ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ में डूब गई कि धनà¥à¤¯ है यह छोटा सा कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤•à¥¤ इसकी अवसà¥à¤¥à¤¾ छोटी है परंतॠदृढ़ता बहà¥à¤¤ बड़ी है और कहाठहम जो जीवन की अंतिम अवसà¥à¤¥à¤¾ में आकर à¤à¥€ जीठके सà¥à¤µà¤¾à¤¦ में अटके हैं। जरा सी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आ जाठतो हम à¤à¥à¤‚à¤à¤²à¤¾ जाते हैं लेकिन अनेक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚लताओं में à¤à¥€ इसका वैरागी मन पà¥à¤·à¥à¤ª की तरह खिल रहा है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )