1981 नागपà¥à¤° चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ की बात है जब कà¥à¤·à¥. पूरà¥à¤£ सागर जी अपने गà¥à¤°à¥ आ. शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¸à¤¾à¤—र जी आजà¥à¤žà¤¾-अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के पालन में पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ दतà¥à¤¤à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤ रहते थे। à¤à¤• बार चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¤à¤¿ माताजी जब गृहसà¥à¤¥ अवसà¥à¤¥à¤¾ में थी तो अड़ गई कि कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• तो शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• है उनकी पादपूजा अरà¥à¤˜ नहीं चढ़ाऊà¤à¤—ी। जब यह खबर पू.आ. शà¥à¤°à¥€ को जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆ तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सारे कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤•à¥‹à¤‚ को बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ था तथा कहा- ये महिला जब तक अरà¥à¤˜ पादपूजा करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठन करे, तब तक कोई इसके चौके में मत जाना। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤à¤-नियम साधॠजीवन के पà¥à¤°à¤¾à¤£ है à¤à¤• बार à¤à¥‚खे रह जाना, उपवास कर लेना अचà¥à¤›à¤¾ पर आगमिक नियमों को तोड़कर आहार लेना अचà¥à¤›à¤¾ नहीं। तो कà¥à¤·à¥.जी तो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤“ं का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ बड़ी दृढ़ता से करते थे, कई दिन तक उनके चौके में कà¥à¤·à¥.जी का आहार नहीं हà¥à¤† फिर à¤à¤• दिन सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आई और फिर पू.आ. शà¥à¤°à¥€ की आजà¥à¤žà¤¾ से मना-मनाकर (खà¥à¤¶ करके) चौके में ले गई, पादपूजा अरà¥à¤˜ किया। तब कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने आहार पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया। और बाद में इतनी पू.आ. शà¥à¤°à¥€ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ कि दीकà¥à¤·à¤¾ का शà¥à¤°à¥€à¤«à¤² चढ़ाकर चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¤à¤¿ माता जी बन गई।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )