कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी अपने गà¥à¤°à¥à¤µà¤° आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿ सागर जी महाराज के साथ सनॠ1981 में विराजमान थे फाफाडीह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° रायपà¥à¤° में, à¤à¤• अंतेवासिन आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ शिषà¥à¤¯ की तरह, तà¤à¥€ अचानक à¤à¤• दिन à¤à¤• घटना घट गई, हà¥à¤† यों - à¤à¤• दिन पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿ सागर जी कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी से बोले-आज आपको à¤à¤• काम करना है। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी अति पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨, कà¥à¤¯à¤¾ आजà¥à¤žà¤¾ है गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ चटाईयों का गटà¥à¤ ा दूसरे मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक रख कर आना है, गà¥à¤°à¥ समय-समय पर अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की परीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ लेते हैं कि इसने अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को कितना जीता है, यों लगता है शायद कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी की à¤à¥€ परीकà¥à¤·à¤¾ हो रही है, जब गà¥à¤°à¥ की अटपटी सी आजà¥à¤žà¤¾ सà¥à¤¨à¥€ तो कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी अचंà¤à¥‡ में पड़ गये परनà¥à¤¤à¥ फिर सोचा - गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ जीवन में सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ होती है चाहे वह आजà¥à¤žà¤¾ कैसी à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हों, अत: उठाया गटà¥à¤ ा ओर चल दिये, रासà¥à¤¤à¥‡ में बाजार में होकर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ हà¥à¤†, जैसे ही किसी शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• की नजर पहà¥à¤à¤šà¥€, वह बोला -महाराज इस को आप यही रख दे मैं लेकर जाता हूà¤, गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ पालन करने में दृढ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी बोले- इसे ले जाने की गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ को सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ उपहार मान सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है, मेरा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ जो गà¥à¤°à¥ ने कà¥à¤› आजà¥à¤žà¤¾ दी। गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ तो शेषाकà¥à¤·à¤¤ की तरह मंगल होती है। और कोई होता तो सोचता मैं यह गटà¥à¤ ा लेकर बाजार से कैसे निकलूं, लोग देखकर हà¤à¤¸à¥‡à¤‚गे। परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने तो गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ का पालन सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मानकर किया, शायद उसी का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² कि आज आप पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कषà¥à¤Ÿ को आसानी से सहने में अपने आप को समरà¥à¤¥ पाते हैं और उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आपके कदम चूमती हैं।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )