सनॠ1980 दà¥à¤°à¥à¤— चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ की बात है प.पू. आ. शà¥à¤°à¥€ के अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¹à¤¿à¤•à¤¾ परà¥à¤µ आठउपवास चल रहे थे, तब मैना बाई वैयावृतà¥à¤¤à¤¿ हेतॠघी- कपूर मथकर लाती थी | à¤à¤•à¤¬à¤¾à¤° पू. कà¥à¤·à¥. जी का आहार के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें ही अंतराय हो गया, वे जैसे ही पू.आ. शà¥à¤°à¥€ के पास पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो पू.आ. शà¥à¤°à¥€ अपने सिर में लगे हà¥à¤ घी को निकाल कर, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कà¥à¤·à¥.जी के सिर पर लगा दिया, तथा कहा अब तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ परेशानी नहीं होगी। à¤à¤¸à¥‡ अनेकों बार लगाया।
रायपà¥à¤° में वासà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ था, à¤à¥€à¤·à¤£à¤—रà¥à¤®à¥€ का समय, दिनà¤à¤° गरà¥à¤®-2 धूप-लपट और रात को à¤à¥€ गरà¥à¤®-2 हवा, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ गरà¥à¤®-2 तपता था। à¤à¤• दिन रातà¥à¤°à¤¿ को पू.आ. शà¥à¤°à¥€ ने देखा की कà¥à¤·à¥. जी सो रहे हैं| उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धीरे से उनका दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ उठाया, कमणà¥à¤¡à¤² के पानी से à¤à¤¿à¤—ोकर, निचोया और खोलकर कà¥à¤·à¥.जी के ऊपर ओडा दिया, यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ कà¥à¤·à¥. जी की नींद आहट से खà¥à¤² गई थी, पर डरते थे, मना कैसे करूà¤, अत: वे बन कर सोते-2 सब देखते रहे, तब पू.आ. शà¥à¤°à¥€ दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ उड़ाकर चले गये तो कà¥à¤·à¥.जी को अचà¥à¤›à¥€ नींद आ गई।
धनà¥à¤¯ है कà¥à¤·à¥. जी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पू.आ. शà¥à¤°à¥€ का असीम वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ जो उनके ऊपर सदैव सावन के बादलों की तरह बरसता रहता है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )