घटना है उस समय कि जब पू.कà¥à¤·à¥. पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र जी का चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ सनॠ1980 में तपसà¥à¤µà¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ प.पू. आ. शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿à¤¸à¤¾à¤—र के साथ हो रहा था। जब चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पिचà¥à¤›à¤¿ परिवरà¥à¤¤à¤¨ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® हà¥à¤†, जब सà¤à¥€ साधॠअपनी-2 नवीन पिचà¥à¤›à¤¿à¤•à¤¾ ले अपने-2 सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आ गये। तà¤à¥€ किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ महाराज ने कà¥à¤·à¥. जी से पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦à¤µà¤¶ कह दिया कि आपको जो पिचà¥à¤›à¤¿ मिली है वह तो माताजी की है। वे उसी समय पू.आ. शà¥à¤°à¥€ के पास पहà¥à¤à¤š कर बालकवत बोले, हमें यह पिचà¥à¤›à¤¿ नहीं चाहिà¤, यह किसी माताजी की है, दूसरी पिचà¥à¤›à¤¿ दीजिà¤à¥¤ पू.आ. शà¥à¤°à¥€ ने कहा-जो पिचà¥à¤›à¤¿à¤•à¤¾ à¤à¤• बार हाथ में आ जाती है उसे ही रखना पड़ता है, उसे बदला नहीं जाता। इतना सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ कà¥à¤·à¥.जी की आà¤à¤–ों से गंगा-जमà¥à¤¨à¤¾ बहने लगी उसी समय वयोवृदà¥à¤§ महेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¸à¤¾à¤—र जी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रोते देखा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पिचà¥à¤›à¤¿ देते हà¥à¤ कहा, छोटे कà¥à¤·à¥. रोओ मत तà¥à¤® मेरी पिचà¥à¤›à¤¿ ले लो और अपनी मà¥à¤à¥‡ दे दो। कà¥à¤·à¥. जी तà¥à¤°à¤‚त बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह आà¤à¤¸à¥‚ पोंछकर खà¥à¤¶ हो गये पू. आ. शà¥à¤°à¥€ इस दृशà¥à¤¯ को देखकर मन ही मन बड़े पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ कà¥à¤·à¥. जी की बालकवतॠअबोध अवसà¥à¤¥à¤¾ को देखकर । उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने पास बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° अपनी आशीष छाया | में बिठाकर मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लगे।
सच गà¥à¤°à¥ पालक तथा शिषà¥à¤¯ बालक होता है सही à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ के समकà¥à¤· बालकवत ही होना चाहिà¤, वे ही हमारे माता-पिता, बनà¥à¤§à¥ सखा होते हैं, उनके सिवा अनà¥à¤¯ कौन है हमारा । तà¤à¥€ सचà¥à¤šà¤¾ गà¥à¤°à¥ का पà¥à¤°à¥‡à¤® बरसता है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )