कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—रजी गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ पालन करने में बड़े पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ थे। बिना आजà¥à¤žà¤¾ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ संकेत कोई कारà¥à¤¯ नहीं करते थे। यहां तक की संघ में जब पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• की सामगà¥à¤°à¥€ पहने व बिंदी लगाये हà¥à¤ से आहार नहीं लिया जाता था तब à¤à¥€ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• महिलाओं से सहजता में बटन वगैरह की पूछकर ही आहार लेते थे।
1980 दà¥à¤°à¥à¤— की घटना है,वे बाहर छत पर सो रहे थे, तà¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लघॠशंका की इचà¥à¤›à¤¾ हà¥à¤ˆ तो वे उठे और रातà¥à¤°à¤¿ के समय पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के कमरे में आये और दरवाजे से ताकि पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ की नींद खराब न हो, नमोसà¥à¤¤à¥ कर तथा लघà¥à¤¶à¤‚का का संकेत कर चले गये, शायद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सोचा कि पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सोये हà¥à¤ हैं, और अंधेरा होने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यही समठमें आया पर सच तो यह था,उस समय पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ जाग रहे थे,उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ सब देख लिया था,मन ही मन बडे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे।जब पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल हà¥à¤† तो पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ बोले- पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र कल तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ परीकà¥à¤·à¤¾ हो गयी, तà¥à¤® à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ शिषà¥à¤¯ हो, अहनिरà¥à¤¶ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹ का पालन करते हो, बिना आजà¥à¤žà¤¾- अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ के कोई कारà¥à¤¯ नहीं करते। तà¥à¤® जरूर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ साधक बनोगे और दूसरों को à¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ ा के पाठपढ़ाओगे।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )