1980 दà¥à¤°à¥à¤— चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र जी अपने पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सनà¥à¤®à¤¤à¤¿ सागर जी के चरणों में।à¤à¤•दिन वे वयोवृदà¥à¤§ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• अजीतसागर जी के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर अनà¥à¤¯à¤®à¤¤ विषयक शासà¥à¤¤à¥à¤° पढ़कर सà¥à¤¨à¤¾ रहे थे, पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ ने जैसे ही सà¥à¤¨à¤¾ तो आवाज लगा दी- पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र। पूरà¥à¤£à¤¸à¤¾à¤—र- कà¥à¤¯à¥‹ कौन सा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ चल रहा है, बिना आजà¥à¤žà¤¾- अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ के, रखो यहां शासà¥à¤¤à¥à¤° इसे पढ़ने की कोई आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं। गंà¤à¥€à¤° शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤•र शासà¥à¤¤à¥à¤° पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° को सौंप दिया, कान पकड़ लिठअब कà¤à¥€ इस शासà¥à¤¤à¥à¤° को नहीं पढ़ूंगा। कà¥à¤› साल-2 साल बाद कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ हेतू पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° से शासà¥à¤¤à¥à¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। तब पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने वही शासà¥à¤¤à¥à¤° दिया। वे उसे देखकर डर गये, सोचा इसी शासà¥à¤¤à¥à¤° के कारण तो मेरे बाजे बजे थे बोले यह नहीं कोई दूसरा दीजिà¤à¥¤ पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥‚वर ने कहा- यह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ घटना दोहरा दी। वे सà¥à¤¨à¤•र हंसते हà¥à¤ बोले- उस समय आपका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नया-नया था, सà¥à¤µà¤®à¤¤ की ही पकड़ मजबूत नहीं तो परमत को पढ़कर आप à¤à¤Ÿà¤• सकते थे। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤µà¤®à¤¤ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ फिर परमत का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ होना चाहिठयदि आप सà¥à¤µà¤®à¤¤ में परिपकà¥à¤• हà¥à¤¯à¥‡ बिना परमत का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करते तो आपकी चिंतन धारा वैसी ही पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होती।अंत: अब इसका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर सकते हैं।
पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° से रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ बात को सà¥à¤¨à¤•र कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी का सारा डर à¤à¤¾à¤— गया और वे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µ पर मत के अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ बन गये।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )