सन 1980 में परम पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 सनà¥à¤®à¤¤à¤¿ सागर जी महाराज विराजमान थे कटनी नगर में, तब अरविंद अहरà¥à¤¨à¤¿à¤¶ रहे सेवा में ततà¥à¤ªà¤°, अरविंद के मन में उठरही थी वैरागà¥à¤¯ की हिलोरे, अब समय आया विहार का तो अरविंद à¤à¥€ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° का विहार कराने हेतॠचल दिये, अरविंद का वैरागी मन à¤à¤• पल à¤à¥€ नहीं रहना चाहता था संसार रूपी पिंजरे में, वह तो छटपटा रहा था आतà¥à¤® सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ पाने हेतà¥à¥¤à¤…त: दीकà¥à¤·à¤¾ हेतॠà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡ रखी पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के समकà¥à¤·à¥¤ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने बड़े गौर से अरविंद को निहारा और बोले- बà¥à¤¢à¤¼à¤¾à¤° में देखेंगे। रासà¥à¤¤à¥‡ में गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤° ने विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार से अरविंद की परीकà¥à¤·à¤¾ की और बà¥à¤¢à¤¾à¤° पहà¥à¤‚चते ही दीकà¥à¤·à¤¾ का मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ निकाल दिया और कहा- आज तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पेंट-शरà¥à¤Ÿ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना है व धोती-दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ पहनना है, आज से तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ आजीवन बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ वà¥à¤°à¤¤ रहेगा और कल दीकà¥à¤·à¤¾ होगी, फिर आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया- तà¥à¤® अपने माता-पिता की आजà¥à¤žà¤¾ ले आये। विवेकी अरविंद ने विनय पूरà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया- पूजà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° से बढ़कर जग में और कौन माता-पिता है।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनकी नाराजगी का खà¥à¤¯à¤¾à¤² नहीं है?
अरविंद- गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ!मोह कब राजी होने देगा और मोह की नाराजगी को देखकर मैं कà¥à¤¯à¤¾ करूंगा, अनंत à¤à¤µà¥‹à¤‚ से मोह ने ही पछाड़ा है अब उस पर विजय पाना चाहता हूं।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- यदि तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ माता-पिता तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही ले गठतो कà¥à¤¯à¤¾ करोगे?
अरविंद- गà¥à¤°à¥‚वर!ले जाना अवशà¥à¤¯ ही उन पर निरà¥à¤à¤° है पर अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ में दृढ रहना तो मà¥à¤ पर निरà¥à¤à¤° है। मैं आपका शिषà¥à¤¯ हूं, धरà¥à¤® को कलंकित नहीं करूंगा।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ परिवार, नगर, कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬ व समाज को जवाब कौन देगा?
अरविंद- गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ!मोहि जन जवाबों से कहां संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ होते हैं, और कब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैरागियों की बातें ही सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ पड़ती है।
पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ अरविंद के उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨ मन ही मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो रहे थे उसकी दृढ़ता को देखकर।अत: उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¨à¤ƒ पूछा- तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता है जिस मारà¥à¤— पर तà¥à¤® बढ़ रहे हो उस पर à¤à¤• बार कदम बढ़ा दिया जाठतो वापस लौटना संà¤à¤µ नहीं होता?
अरविंद- हां गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ! आप सतà¥à¤¯ कर रहे हैं, मैं अपने मोकà¥à¤·à¤ªà¤¥ पर सदा दृढ़ रहूंगा किसी à¤à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कदम पीछे ना हटाऊंगा।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- यह मोकà¥à¤·à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— ककंड, पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ और संकटों का मारà¥à¤— है?
अरविंद- गà¥à¤°à¥‚वर,वैरागियों को मारà¥à¤— में ककंड और पतà¥à¤¥à¤° à¤à¥€ फूल लगते हैं, विपतà¥à¤¤à¤¿, संपतà¥à¤¤à¤¿ लगती है और संकट, आनंद का हेतà¥à¥¤
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- इस मारà¥à¤— पर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सरà¥à¤¦à¥€-गरà¥à¤®à¥€ à¤à¥‚ख-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की वेदना और डांस-मचà¥à¤›à¤° आदि के परिषहों को सहना पड़ेगा।
अरविंद- मोकà¥à¤· पथ इचà¥à¤›à¥à¤• वैरागी मोकà¥à¤· पथ की यातà¥à¤°à¤¾ में अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ को हथेली पर लेकर चलता है, फिर वह छोटी-छोटी समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं होता,अंत: मैं सब कà¥à¤› सहरà¥à¤· सहन करूंगा।
पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° को अरविंद की बातें सà¥à¤¨ दृढ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया कि अब यह मानेगा नहीं, अपने लकà¥à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दृढ़-संकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है। फिर गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने पूछा- कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ कà¤à¥€ निरà¥à¤œà¤²à¤¾ उपवास किया है।
अरविंद- à¤à¤•ासन तो किया है पर उपवास नहीं।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- कल तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ दीकà¥à¤·à¤¾ है उपवास करना पड़ेगा।
अरविंद- हां गà¥à¤°à¥à¤µà¤°, आपके आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से अवशà¥à¤¯ कर लूंगा।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- तà¥à¤® केशलोंच करोगे या बाल उसà¥à¤¤à¤°à¥‡ से बनवाओगे?
अरविंद- केशलोंच करà¥à¤‚गा।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- देखो, अà¤à¥€ तà¥à¤® नये हो, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ उमà¥à¤° छोटी है, केशलोंच में कषà¥à¤Ÿ होगा और फिर कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• अवसà¥à¤¥à¤¾ में उसà¥à¤¤à¤°à¥‡ से बाल बनवाना निषिदà¥à¤§ à¤à¥€ नहीं है,अत: उसà¥à¤¤à¤°à¥‡ से बाल उतरवा सकते हो।
अरविंद- नहीं, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° मै केशलोंच ही करूंगा।
आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€- अचà¥à¤›à¤¾, तो कल तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¶à¤²à¥‹à¤‚च à¤à¥€ करना है और उपवास à¤à¥€,अत: आज à¤à¥‹à¤œà¤¨ अचà¥à¤›à¥€ तरह से करना अà¤à¥€ जाओ और मैंनाबाई से धोती-दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ लेकर पहन लो। अरविंद गà¥à¤°à¥à¤µà¤° को नमोसà¥à¤¤à¥ कर हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ मन से चल दिये मैनाबाई जी के कमरे की ओर।
घड़ी उतारते हà¥à¤ बोले- बाई जी, आज से मैं घड़ी नहीं पहनूंगा, ये लो घड़ी तथा धोती-दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ दे दो मैंने पेंट-शरà¥à¤Ÿ का à¤à¥€ तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया है, और ये अलमारी की चाबी विजय आये तो उसे दे देना, आज मैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ बन जाऊंगा और कल मेरी दीकà¥à¤·à¤¾ होगी। मैना बाई जी छोटे से अरविंद की बातों को सà¥à¤¨ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ और थमा दिया अरविंद के हाथ में धोती दà¥à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¥¤
धनà¥à¤¯ है छोटे से बालक की दृढ़ता जिसके वैरागà¥à¤¯ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ उतà¥à¤¤à¤°à¥‹ को सà¥à¤¨ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° थे हरà¥à¤·à¤¿à¤¤, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤‚प लिया कि आज का यह होनहार बालक आगे चलकर बहà¥à¤¤ नाम कमायेगा और करेगा धरà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿à¥¤ वहीं बालक आज हमारे पालक पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ विराग सागर जी महाराज है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )