महानपà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की महानता के लकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤¯: कर बचपन से ही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई देने लगते हैं कि यह बड़ा होकर à¤à¤• महानपà¥à¤°à¥à¤· बनेगा। पर इस रहसà¥à¤¯ को वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ या वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के लोग समठनहीं पाते कि हमारे बीच à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की à¤à¤• महापà¥à¤°à¥à¤· की आतà¥à¤®à¤¾ विराजमान है।
बात है 1978 ‌की जब अरविंद à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ कटनी में à¤à¤• आदरà¥à¤¶ छातà¥à¤° की तरह सà¤à¥€ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ शिकà¥à¤·à¤•ों के सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ पातà¥à¤° बनकर अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤°à¤¤ थे। बड़े आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि पढ़ाई के अलावा जो समय घूमने-खेलने मिलता था तो सà¤à¥€ छातà¥à¤° इसका à¤à¤°à¤ªà¥‚र आनंद उठाते थे।पर अरविंद à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ तो बड़े विचितà¥à¤° थे कि वे अपने गà¥à¤°à¥ पंडित धनà¥à¤¯ कà¥à¤®à¤¾à¤° जी के साथ या कà¤à¥€ अकेले ही लाइबà¥à¤°à¥‡à¤°à¥€ में पहà¥à¤‚च जाते à¤à¤µà¤‚ वहां बैठकर घंटो- घंटो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ों को पढ़ते रहते थे, कà¥à¤› ना कà¥à¤› खोजबीनी करते रहते हैं जिससे उनका लौकिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤•ूली अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के साथ निरंतर बढ़ता गया। सà¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡ इतने पढ़ते देखकर पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦à¤à¤¾à¤µ से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी पà¥à¤•ारने लगे।
आज वे खोजबीनी के संसà¥à¤•ार इतने वृदà¥à¤§à¤¿à¤—ंत हो चà¥à¤•े हैं कि वे शà¥à¤§à¥à¤¦à¥‹à¤ªà¤¯à¥‹à¤—, समà¥à¤¯à¤—à¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨, आगमचकà¥à¤–ू साहू जैसी à¤à¥à¤°à¤®- à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियों को दूर करने वाली आगमानà¥à¤¸à¤¾à¤°à¥€ शोधातà¥à¤®à¤• कृतियों का सरà¥à¤œà¤¨ करते जा रहे हैं।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )