1978 में अरविंद à¤à¤• अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤µà¤¾à¤¨, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¶à¥€à¤²,गà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤µà¥€à¤£, विनयी तथा सà¤à¥€ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤• होनहार, कà¥à¤¶à¤² पà¥à¤°à¤¿à¤¯ छातà¥à¤° थे। वे पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤•र सà¤à¥€ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ बैठकर नई-नई योजनाये बनाते रहते थे कà¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ संबंधी तो कà¤à¥€ नैतिकता, सदाचार संबंधी। à¤à¤• दिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मितà¥à¤°à¤®à¤‚डली जो सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤µà¤‚ परिशà¥à¤°à¤®à¥€ थी उसे बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ तथा कहा- जिस सà¥à¤•ूल में हम पढ़े-लिखे और वह गंदी रहे, यह कैसे हो सकता है हमें उसकी सफाई à¤à¤µà¤‚ सौंदरà¥à¤¯à¥€à¤•रण करवाना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ सà¥à¤•ूल के सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤‚डेंट के समीप रखी, सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ ना न होने पर समिति के समकà¥à¤· शिकायत की। पर सफलता नहीं मिली, फिर à¤à¥€ वे हारे नहीं सà¤à¥€ ने मिलकर गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड की सफाई करके सà¥à¤‚दर बगिया बना दी। अब नंबर आया सà¥à¤•ूल की बड़ी-बड़ी दीवारों की पà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ, लड़कों ने कमर कस ली और पà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤, जिसे देख सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, शिकà¥à¤·à¤• आदि यही कहते कि तà¥à¤® लोग छोटे हो यह काम तà¥à¤®à¤¸à¥‡ नहीं होगा, छोड़ो इस कारà¥à¤¯ को पर लड़के नहीं माने, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤› ही दिन में पूरा सà¥à¤•ूल पोत दिया।उनके इस साहसी कारà¥à¤¯ की सà¤à¥€ ने à¤à¥‚री-à¤à¥‚री पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की।
सच à¤à¥€ है महान पà¥à¤°à¥à¤· जिस कारà¥à¤¯ में अपने कदम बढ़ाते हैं तो उसे पूरà¥à¤£ ही करते हैं, चाहे कितनी à¤à¥€ परेशानियां, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•ूलताये आये उनके कदम रà¥à¤•ते नहीं अपितॠअविराम बढ़ते हैं।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )