1977 जब अरविंद à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ कटनी शांतिनिकेतन विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ दतà¥à¤¤à¤šà¤¿à¤¤ थे। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ वे सà¥à¤•ूल में शांत छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में गिने जाते थे फिर à¤à¥€ à¤à¤• दिन किसी लड़के से गलती ना होने पर à¤à¥€ à¤à¤—ड़ा हो गया, और उस लड़के ने अरविंद को गाली दे दी। गाली सà¥à¤¨à¤•र उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾ लगा फिर वे चà¥à¤ª हो गये। पर इस बात की शिकायत उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤•ूल के शिकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€ धनà¥à¤¯à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° जी से कर दी। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि अरविंद का चेहरा उतरा हà¥à¤† है थे अतः वे पà¥à¤°à¥‡à¤® से समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बोले कि- अचà¥à¤›à¤¾ उसने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ गाली दी। हां, पंडित जी! अचà¥à¤›à¤¾, तो बताओ कि उसने गाली दी तो वह कहां है। सà¥à¤¨à¤•र वे- आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से देखने लगे। पंडित बोले- बताओ तो सही, जेब में रख ली या पेटी में। अरविंद ने कहा- पंडित जी गाली कोई दिखने की वसà¥à¤¤à¥ तो है नहीं, जो मैं आपको दिखा दूं। पंडित बोले- इसका मतलब उसने गाली दी, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पास नहीं, तो तà¥à¤®à¤¨à¥‡ ली नहीं, फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¾ लगा।
सà¥à¤¨à¥‹! घर में कोई रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पैसा- रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ दे और तà¥à¤® ना लो, तो वापस वे उसी के ही रहते हैं। उसी पà¥à¤°à¤•ार उसने गाली दी, तà¥à¤®à¤¨à¥‡ नहीं ली, तो वह तो उसी लडके के पास लौट गई। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ दà¥à¤–ीत होने की कà¥à¤¯à¤¾ बात। जो जैसा करता है उसका फल आज नहीं तो कल अवशà¥à¤¯ मिलेगा। हमें तो सदैव उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤·à¤®à¤¾ करते रहना चाहिà¤à¥¤ अरविंद ने उस दिन से à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤·à¤®à¤¾ का पाठसीखा जो वृदà¥à¤§à¤¿à¤—ंत होता हà¥à¤† अपकारियो के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤® कà¥à¤·à¤®à¤¾ के रूप में फलीà¤à¥‚त हो रहा है।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )