करुणा, दया, सरलता, सर्वप्रियता आदि गुण जिन्हे विरासत से ही प्राप्त हुए ऐसे अरविन्द भैया जब ग्राम पथरिया मे रहते थे। तब वे प्राय:देखा करते थे की यदि वृद्ध अम्मा आदि काम करते दिखते थे तो वे झट से बिना बुलाये उनकी मदद करने, दौड़कर अपनी पढाई छोड़कर जाते थे।उनके वे संस्कार निरंतर वृद्धिगंत होते गए जब वे 1975 मे कटनी शांति निकेतन गुरुकुल मे पढ़ने आये तो यहाँ पर भी उन्होंने देखा कि एक वयोवृद्ध अम्मा, जिसका स्वास्थय भी ठीक नहीं रहता फिर भी स्कूल का सारा पानी भरती है तो उनका कोमल हदय यह पसीज गया वे उस अम्मा के सिर से पानी का बर्तन लेते और जल्दी से पानी भर देते थे। वह अम्मा मना करती बेटा तुम पढाई करो, मैं कर लूँगी तो वे कहते तुम आराम करो, मैं पानी भरुँगा और पढाई भी कर लूँगा। तब उस अम्मा के हदय से शुभभावनाओ -दुआओ के उपहार रूप वचन निकलते थे कि बेटा तुम एक दिन बहुत महान- ऊँचे बनोगे। तुम तो देवता के रूप हो।
गुरु जीवन (मम) जीवंत आदर्श,
शिक्षाओं - घटनाओं का सर्ग ।
मेरे जीवन का यही विमर्श,
दुनिया को कराऊँ उनका दर्श ।।
( घटनायें , ये जीवन की पुस्तक से लिए गए अंश )