1968 का वरà¥à¤· जो लाया था अरविनà¥à¤¦ की शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¤£ । पथरिया के फड़के बालमंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कराया गया । सà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह अरविनà¥à¤¦ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ में सà¥à¤•à¥‚ल जाने में अकà¥à¤¸à¤° रोने लग जाते थे । पà¥à¤°à¤¾à¤¯: ममà¥à¤®à¥€ से कहते तà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤•à¥‚ल साथ चलो । हम अकेले नहीं जाà¤à¤à¤—े । माठसमà¤à¤¾à¤¤à¥€ की सà¥à¤•à¥‚ल में किसी की ममà¥à¤®à¥€ नहीं जाती । वे सà¥à¤¨à¤•à¤° चà¥à¤ª रह जाते और बोलते - हमे कà¥à¤› नहीं मालूम ममà¥à¤®à¥€ जाती की नहीं , पर तà¥à¤® चलो । तब पापाजी ने à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ खोजा बोले टिनà¥à¤¨à¥‚ तà¥à¤® सà¥à¤•à¥‚ल जाओगे तो मिठाई दूंगा । वे बोले - अचà¥à¤›à¤¾, तो पहले दो । मिठाई मिल गई वे खाकर खà¥à¤¶ होकर बालमंदिर पà¥à¤¨à¥‡ चले गये । पर यह कà¥à¤¯à¤¾ ? घंटा à¤à¤° बाद वे फिर लौट आये । पापा जी बोले - अब कà¥à¤¯à¤¾ हो गया । टिनà¥à¤¨à¥‚ जी बोले - कà¥à¤› नहीं । फिर से मिठाई दो तो अà¤à¥€ फिर बालमंदिर चला जाऊंगा । à¤à¥‹à¤²à¥€ बातों को सà¥à¤¨ पिताजी खूब हॅसे । अब तो यह कà¥à¤°à¤® ही बन गया की पहले मिठाई फिर सà¥à¤•à¥‚ल । पिताजी ने कलà¥à¤²à¥‚ बडà¥à¥œà¤¾ से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• किया, जिनकी मिठाई की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ सà¥à¤•à¥‚ल के रासà¥à¤¤à¥‡ में थी अब तो टिनà¥à¤¨à¥‚ जी पहले मनपसंद मिठाई मगद का लडà¥à¤¡à¥‚ या कलाकंद लेते फिर सà¥à¤•à¥‚ल चले जाते ।
जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² की शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ मीठा खाकर किया था इसलिठही उनकी वाणी, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤§à¤¾à¤°à¤¾ में मिठाई से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मिठास शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•à¥‹ के मन को à¤à¤¾à¤¤à¥€ हैं ।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )