बात है सन् 1984 की, जब पूज्य मुनि श्री विराग सागर जी एवं मुनि श्री सिद्धान्त सागर जी का विहार पालीताना गुजरात की ओर चल रहा था | साथ चल रहे थे श्रद्धालु श्रावक गण । मुकाम को नजदीक जानकर कुछ श्रावकों ने मुनिद्वय से आगे प्रस्थान हेतु आग्रह किया। संत तो संत होते हैं, उन्हें क्या, वे आगे बढ़ दिये, पर यह क्या, चलते-चलते रात्रि होने लगी, अंधकार छाने लगा, परन्तु ठिकाने का कुछ पता नहीं । श्रावकों ने निवेदन किया - महाराज श्री, थोड़ी दूरी पर ही मुकाम है। परन्तु आगम आज्ञा से बंधे मुनि द्वय ने रात्रि में चलने से साफ इन्कार कर दिया। जहाँ पर मुनि द्वय रुके थे, वहाँ आर्मी कैंप लगा था। अत: लोगों ने जैसे-तैसे आर्मी कैम्प वालों को दिगंबर संतों की महिमा व उनके त्याग, नियम आदि बताकर एक कमरा खाली करवा लिया । मुनि द्वय ठहर गये। बाहर श्रावकों से आर्मी वालों की चर्चायें प्रारम्भ हुई। आर्मी वालों ने पहली बार संतों को देखा था, अत: वे उनके बारे में कुछ जानने को अत्यंत उत्सुक थे। एक भक्त, श्रद्धालु-श्रावक ने कहना प्रारंभ किया- हमारे दिगंबर जैन संतों की साधना बड़ी कठोर होती है, वे दिन में एक ही बार खाते हैं, नग्न रहते हैं, पैदल विहार करते हैं, केशलोंच करते हैं। भक्ति की भाषा कब शिखर चढ़ गई पता ही नहीं चला। एक भक्त ने बतलाया हमारे साधु तो रात-रात भर जागकर ध्यान करते हैं। सभी श्रोतागण प्रभावित थे। तब तक मुनिद्वय के कानों में उनको चर्चा पड़ी। अपने धर्म की महिमा कहीं फीकी पड़ जाए तथा इन अनभिज्ञ लोगों की श्रद्धा में अंतर न आ जाए. यह विचार कर मुनि द्वय ने विश्रांति नहीं ली अपितु रात भर ध्यान में लीन रहे। प्रतिध्वनि गूंज रही थी - धर्म के लिए सब स्वीकार है। आमी वाले हर आधे घंटे में आ-जा रहे थे । उन्होंने अनुभव किया कि दोनों मुनिराज ध्यान मग्न हैं। जैसा सुना था वैसा ही पाया। मुनिराजों की ऐसी कठोर साधना देख वे सुबह अंतर श्रद्धा से भर, उनके चरणों में बार-बार नतमस्तक हुए।
धर्म प्रभाव से अभिप्रेत पूज्य मुनि विराग सागर जी ने धर्म की प्रतिष्ठा हेतु कष्टों को नहीं देखा। यह उनकी धर्म के प्रति अकाट्य श्रद्धा, भक्ति का अनुपम उदाहरण है।
उन्होंने अपने पद्य साहित्य भावों के विशुद्ध क्षण में सच्ची धर्म प्रभावना के विषय में लिखा है कि
समर्पण हो जायेंगे फिर
धर्म पर / शक्ति पर
जुट जायेंगे / मार्ग पर
बढ़ने में चढ़ने में
मुक्ति सोपान
ऐसी हार्दिक भावना
करेगी सच्ची प्रभावना।