घटना है सनॠ1984 की जब आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤¨à¤¿ अवसà¥à¤¥à¤¾ में थे तथा मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ विराग सागर जी का विहार चल रहा था à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र की ओर, चूंकि à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र à¤à¤• सोनगढ़ी à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है, अत: वहाठके लोग विहार में ही मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने आ गये। अब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ से पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। à¤à¤• शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• बोला - मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€, आप कहाठजा रहे हैं? à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¤¾ वहाठकोई कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® है? नहीं, किनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤·à¤¾ योग की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है, तो à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र की समाज ने पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की होगी, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° उसकी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤²à¤¤à¤¾ को ताड़ गये और बोले- समाज की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ का तो नहीं परनà¥à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥ की आजà¥à¤žà¤¾ मà¥à¤à¥‡ मालूम है। वह बोला - तो कà¥à¤¯à¤¾ आप बिना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ कर लेंगे? मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की तेजसà¥à¤µà¤¿à¤¤à¤¾ से शायद वह परिचित नहीं था, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने सोचा अब सीधे ढंग से काम नहीं चलेगा अतः अब गà¥à¤°à¥à¤µà¤°/मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने उलà¥à¤Ÿà¤¾ उसी से पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर दिया। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में मà¥à¤¨à¤¿ जंगलों में चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ करते थे तो कà¥à¤¯à¤¾ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने जाते थे? तब वह बोला - नहीं। साथ चल रहा दूसरा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बोला नहीं, महाराज आप ठीक कह रहे हैं, तब मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ बोले - संतों की चरà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¤®à¥à¤¬à¥€ है वे किसी के आधीन नहीं होते तब अनà¥à¤¯ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• पà¥à¤¨à¤ƒ परीकà¥à¤·à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से बोला- पर वहाठचातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ करने योगà¥à¤¯ उचित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ तो नहीं है। मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का परिचय देते हà¥à¤ बोले - कि जब गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ है तो सà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ उचित ही होंगे। अब वह बोला पर नगर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के समय बैंड और जà¥à¤²à¥‚स की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होगी? मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ बोले - कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है? ये मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का काम नहीं, शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•à¥‹à¤‚ का है, संत तो वैरागी होते हैं, बैंड बजाओ या न बजाओ उससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ नहीं। सà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤• मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ के वैचारिक मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚, वैरागà¥à¤¯, गà¥à¤°à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¤‚बीपना तथा निसà¥à¤ªà¥ƒà¤¹ वृतà¥à¤¤à¤¿ से अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो गये और जो लोग हाथ बांधे साथ में चल रहे थे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से नमसà¥à¤¤à¥‡ हाथ जोड़ लिये, शà¥à¤°à¥€à¤«à¤² चढ़ाकर à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की और बड़ी धूमधाम से बैंड, आरती, à¤à¤£à¥à¤¡à¥‹à¤‚ के साथ सहरà¥à¤·/खà¥à¤¶à¥€ के साथ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कराया। सारी समाज चाहे वह मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¤•à¥à¤¤ हो या सोनगढ़ मत वाले, सà¤à¥€ मà¥à¤¨à¤¿ की निसà¥à¤ªà¥ƒà¤¹ चा व साधना के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से à¤à¤•à¤®à¤¤ हो गये और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र में बह चली जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की धारा। जिसमें अवगाहन किया सà¤à¥€ ने, चाहे वह सोनगढ़ी हो या अनà¥à¤¯ मतावलमà¥à¤¬à¥€à¥¤
मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ की निसà¥à¤ªà¥ƒà¤¹ चरà¥à¤¯à¤¾ का ही अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ रहा कि वे जहाठजहाठजाते वहीं सारी समाज à¤à¤• माला के मोतियों की तरह जà¥à¤¡à¤¼ जाति और धरà¥à¤® धारा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो जाती।
धनà¥à¤¯ हैं पूजà¥à¤¯ मà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤° जैसे संत जो पंथ, मत, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं से परे होकर समाज को जोड़ने में à¤à¤• महान शकà¥à¤¤à¤¿ का सेतॠरà¥à¤ª कारà¥à¤¯ करते है तथा जो अधरà¥à¤®à¤®à¤¯à¥€ वातावरण को à¤à¥€ धरà¥à¤®à¤®à¤¯à¥€ बना देते हैं, à¤à¤¸à¥‡ ही संतों के बल से हमारी शà¥à¤°à¤®à¤£ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की शान दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤² से वृदà¥à¤§à¤¿à¤‚गत रही थी/है और सदा रहेगी।
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )