घटना है सनॠ1984 की जब पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 विमल सागर जी महाराज गरà¥à¤®à¥€ की à¤à¥€à¤·à¤£ तपन में विहार कर रहे थे पावागढ़ की ओर, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ तेज धूप और गरà¥à¤® हवा की लपटें सà¤à¥€ को बैचेन कर रही थी परनà¥à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥ आशीष की शीतल छाया में सà¤à¥€ आगे बढ़ते जा रहे थे, उस समय संघ में थे नव दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ विराग सागर जी। आप पहले से ही असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ थे परनà¥à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥ चरणों के सानिधà¥à¤¯ ने à¤à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ का संचार किया और वे खà¥à¤¶à¥€-खà¥à¤¶à¥€ अपने गà¥à¤°à¥ के साथ चल रहे थे। à¤à¤• दिन सà¥à¤¬à¤¹ का विहार हà¥à¤† समगà¥à¤° संघ यथोचित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आहार चरà¥à¤¯à¤¾ हेतॠरà¥à¤•à¤¾, सà¤à¥€ का आहार पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤† पर मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ को à¤à¥€à¤·à¤£ गरà¥à¤®à¥€ में शारीरिक थकान तो थी ही ऊपर से शà¥à¤°à¥ में ही अंतराय हो गया, वे अपने कमरे में आ गये, विहार का शà¥à¤°à¤® और आहार न होने से कमजोरी लग रही थी अतः मैं थोड़ी देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® कर उठजाऊà¤à¤—ा à¤à¤¸à¤¾ सोचकर लेट गये, यहाठसà¤à¥€ का आहार à¤à¥€ हो गया सामायिक à¤à¥€ हो गयी और सà¤à¥€ दोपहर के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ में पहà¥à¤à¤š गये, आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ विमल सागर जी महाराज ने पूछा - कà¥à¤¯à¤¾ बात है विराग सागर जी नहीं आये, जाकर देखा तो मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ लेटे थे, काफी हिलाया आवाज दी, पर कोई संकेत नहीं, फिर देखा तो शरीर तेज बà¥à¤–ार के ताप से तप रहा है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई सà¥à¤§ नहीं थी। सूचना à¤à¥‡à¤œà¥€ गयी गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के पास।
पूजà¥à¤¯ निमितà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने कहा- कà¥à¤› नहीं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लू लग गई है अत: कचà¥à¤šà¥‡ आम को उबालकर हाथ-पैरों में मल दो। अत: à¤à¤¸à¤¾ ही किया गया। दोपहर के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के बाद गà¥à¤°à¥ जी चले शिषà¥à¤¯ को देखने साथ में सारा संघ, चमतà¥à¤•à¤¾à¤° हà¥à¤† - जैसे ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आवाज लगाई, विराग सागर कà¥à¤¯à¤¾ हो गया? कà¥à¤¯à¤¾ विहार नहीं करना, गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯ पूरित शबà¥à¤¦ जैसे ही मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ के कानों में पड़े वे तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ उठकर बैठगये और देखा तो सामने गà¥à¤°à¥à¤µà¤° व सारा संघ, कà¥à¤¯à¤¾ बात है? मनि शà¥à¤°à¥€ को कमजोरी लग रही थी, आà¤à¤–ें à¤à¤•à¤¦à¤® लाल थीं पर घड़ी में साढ़े चार बज गये थे, विहार करना था। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ ठीक नहीं, तेज बà¥à¤–ार है तो ठीक है विराग सागर जी धीरे- धीरे बाद में आ जायेंगे. गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने कहा। मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ ने जैसे ही सà¥à¤¨à¤¾ तो बोले नहीं आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€, आपके सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ à¤à¤°à¥‡ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤•à¤° तो मेरा आधा सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ ठीक हो गया अत: आपके साथ ही विहार करूà¤à¤—ा, आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ बोले - ठीक है, आज हम कम विहार करेंगे। मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ उस तेज बà¥à¤–ार में à¤à¥€, à¤à¥€à¤·à¤£ गरà¥à¤®à¥€ में पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के साथ चल दिये, शरीर कमजोर था अत: उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤°à¤¤ सागर जी के हाथ का सहारा लेकर चले और पूरा विहार किया। पूजà¥à¤¯ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ को पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था कि गà¥à¤°à¥ चरणों में तथा वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ आशीष की छाया में असीम शकà¥à¤¤à¤¿ होती है और उसी दृढ़ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ने ही मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की अपूरà¥à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿à¥¤ मà¥à¤¨à¤¿ शà¥à¤°à¥€ के इसी दृढ़ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और साहस ने दिया दूना, रात चौगà¥à¤¨à¤¾ साधना को वृदà¥à¤§à¤¿à¤‚गत किया और वे आगे चलकर बने à¤à¤• महान आचारà¥à¤¯à¥¤
गà¥à¤°à¥ जीवन (मम) जीवंत आदरà¥à¤¶,
शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं - घटनाओं का सरà¥à¤— ।
मेरे जीवन का यही विमरà¥à¤¶,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कराऊठउनका दरà¥à¤¶ ।।
( घटनायें , ये जीवन की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से लिठगठअंश )