सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठहोते ही अब कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• पूरà¥à¤£ सागर जी के मन में à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी, ली हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ को पूरà¥à¤£ करने की, अत: तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ करने के उपरानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी पहà¥à¤à¤šà¥‡ कचनेर जी सनॠ1983 में वहाठविराजे थे परम पूजà¥à¤¯ निमितà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ 108 विमल सागर जी महाराज हालाà¤à¤•à¤¿ कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी मातà¥à¤° दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ ही पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के पास आये थे परनà¥à¤¤à¥ जैसे ही आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के पास पहà¥à¤à¤šà¥‡ नमोसà¥à¤¤à¥ किया, और गà¥à¤°à¥à¤µà¤° ने न जाने कà¥à¤¯à¤¾ देखा कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी में और अपने निमितà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के बल से बोले - अरे, तेरी दीकà¥à¤·à¤¾ तो मेरे ही हाथों होनी है, सà¥à¤¨à¤•à¤° कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को कà¥à¤› आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤†, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी ने यह सà¥à¤¨ रखा था कि पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ तंतà¥à¤°-मंतà¥à¤° करते हैं अतः मन में सोचा था कि चलकर देखना चाहिà¤, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के ही कमरे में रà¥à¤•à¥‡ थे, पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ थे à¤à¤• बड़े साधक, अत: रातà¥à¤°à¤¿ 11.00 बजे से उठकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, जाप, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं में रत हो जाते थे।
आज कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को नींद नहीं आ रही थी, मन में चिंता थी | पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ शीघà¥à¤° पूरà¥à¤£ करने की, इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ विचारों में डूबे थे कि अचानक कà¥à¤› आवाज आयी खन-खन की, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया तो à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसे कोई पैसे गिन रहा हो, आवाज आ रही थी पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के पास से, आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ जाग रहे थे, कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी के मन में संकलà¥à¤ª-विकलà¥à¤ª उठने लगे, सोचा-लोग कहते हैं कि आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ तंतà¥à¤°-मंतà¥à¤° करते हैं, अत: दिन-à¤à¤°-तंतà¥à¤°-मंतà¥à¤° और जो पैसे आये होगे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रातà¥à¤°à¤¿ में बैठकर गिनते होंगे, सोचा, चलकर देखना चाहिà¤à¥¤ जैसे ही कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी लघà¥à¤¶à¤‚का जाने की आजà¥à¤žà¤¾ लेने के बहाने आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ के पास पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो देखते ही सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ रह गये यह कà¥à¤¯à¤¾, आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ तो मणियों मोतियों की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की मालाओं से जाप कर रहे थे और उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के हिलने तथा सामने रखी चौकी से टकराने के कारण खनखन की आवाज आ रही थी। कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी को बहà¥à¤¤ पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª हो रहा था, सारी रात कà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤• जी सो नहीं सके, मन में दà¥:ख था कि à¤à¤• महान साधक के विषय में मैंने à¤à¤¸à¥‡ खोटे विचार किये, पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ उमड़ पड़ी तथा निरà¥à¤£à¤¯ किया अब दीकà¥à¤·à¤¾ यहीं लà¤à¤—ा तथा इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ आचारà¥à¤¯ à¤à¤—वनॠको अपना गà¥à¤°à¥ बनाऊà¤à¤—ा।
पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल होते ही पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ को रातà¥à¤°à¤¿ की सारी घटना सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ तथा पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª के अशà¥à¤°à¥à¤“ं से à¤à¥€à¤—े नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से हाथ जोड़कर कà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना की तथा à¤à¤¾à¤µ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये दीकà¥à¤·à¤¾ के, कोमल हृदयी गà¥à¤°à¥à¤µà¤° शिषà¥à¤¯ की निशà¥à¤›à¤² वृतà¥à¤¤à¤¿ को देख बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ तथा मन में विचार रहे थे कि सच, निशà¥à¤›à¤²-सरल-सहज वृतà¥à¤¤à¤¿ ही सफलता की सीढ़ी होती है। इसकी निशà¥à¤›à¤² वृतà¥à¤¤à¤¿ ही इसे ले जायेगी ऊà¤à¤šà¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के शिखर पर।