तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मतिसागरजी महाराज
संक्षिप्त परिचय
जन्म तिथि: माघ सुदी सप्तमी
जन्म दिनांक: 27 जनवरी सन १९३7
दिन : शुक्रवार
जन्म स्थान : फफोतु (उत्तरप्रदेश)
जन्म का नाम : ओमप्रकाश जैन
माता का नाम : जयमाला देवी
पिता का नाम : प्यारेलालजी जैन
गृहस्थ अवस्था के भाई : 3
गृहस्थ अवस्था के बहने : 5
शिक्षा : बी ए
क्षुल्लक दीक्षा तिथि: श्रावण सुदी अष्टमी
क्षुल्लक दीक्षा दिनांक: 19 अगस्त सन 1961
क्षुल्लक दीक्षा स्थल : मेरठ (उत्तरप्रदेश)
क्षुल्लक नाम: क्षुल्लक श्री 105 नेमी सागर जी महाराज
मुनि दीक्षा तिथि: कार्तिक सुदी बारस
मुनि दीक्षा दिनांक: 9 नवंबर सन 1962
मुनि दीक्षा स्थल : सम्मेद शिखरजी सिद्धक्षेत्र
मुनि दीक्षा गुरु : आचार्य श्री 108 विमलसागरजी महाराज
मुनि दीक्षा नाम: मुनि श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज
आचार्य पद तिथि: माघ वदी तीज
आचार्य पद दिनांक: 3 जनवरी सन 1972
आचार्य पद स्थल : उदयपुर (राजस्थान)
आचार्य पद प्रदाता : आचार्य श्री 108 महावीरकीर्ति महाराज
समाधी तिथि: पौष वदी तीज
समाधी दिनांक: 24 दिसम्बर सन 2010
समाधी स्थल : उदगांव (कुंजवान )
त्याग:
- 18 साल की आयु में ब्रहमचर्य व्रत लेते ही नमक का त्याग
- 1962 में मुनि दीक्षा लेते ही शकर का त्याग
- सन 1963 में चटाई का त्याग
- घी ,तेल का आजीवन त्याग
- 1975 में अन्न का त्याग
- सन 1998 में दूध का त्याग
- 2003 में उदयपुर में मट्ठा और पानी के अलावा सबका त्याग कर दिया
विशेषताएँ :
- आ. श्री त्रियोग रसेन्द्रिय विजय में सम्राट सम तपो में प्रणेता है ;दो, चार , छ: ,आठ ,दस उपवास करना तो आपके लिए सहज ही नजर आता है।
- कड़ी तपस्या कठोर उपवास में भी आपके दैनिक परिचर्या में किंचित भी शिथिलता नहीं होती।
- रात्रि में तेल ,घी की मालिश नही करवाते |
- अपने जीवन काल में कठोर साधना कर चरित्र शुद्धि व्रत,दशलक्षण व्रत,मुक्तावली व्रत ,सर्वसोभाद्र मरण मत्यव्रत ,सोलह कारण व्रत किये ।
- दमोह चातुर्मास में सिंहनिष्क्रिदित महा कठिन व्रत किया |
- अपने 49 साल के तपस्वी जीवन में लगभग 9986 (27.5 सालो से भी अधिक) उपवास किये |
- रांची में 6 माह तक और इटावा में 2 माह तक पानी का भी त्याग किया ।
- 24 घंटो में केवल 3 चार घंटे ही विश्राम करता थे |वे पूरी रात तपस्या में लगे रहते थे|
दादा गुरु तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मतिसागरजी महाराज को बारम्बार नमोस्तु