पूर्व नाम | श्री अरविन्द जैन |
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पिता | श्री कपूरचंद जी जैन (समाधिस्थ मुनि विश्ववंध सागर जी महाराज) |
माता | श्रीमती श्यामादेवी जैन (समाधिस्थ आ.विशांत श्री माताजी) |
जन्म | 2.5.1963, गुरुवार ( वैशाख सुदी 9 वि.सं 2020) |
जन्म स्थान | पथरिया (म.प्र.) |
बहन | श्रीमती मीना जैन, |
भाई | श्री विजय कुमार, |
लौकिक शिक्षा | इण्टर, मध्यमा (पथरिया, श्री शांतिनिकेतन, दि.जैन संस्कृत विद्यालय, कटनी) |
विवाह | बाल ब्रह्मचारी |
क्षुल्लक दीक्षा | 20.2.1980, (फाल्गुन शु. 5 वि. सं. 2036) |
क्षुल्लक दीक्षा स्थान | बुढ़ार, शहडोल |
नाम | पूज्य क्षुल्लक श्री 105 पूर्णसागर जी |
क्षुल्लक दीक्षा गुरु | प.पू.तपस्वी सम्राट आचार्य श्री 108 सन्मति सागर जी |
मुनि दीक्षा | 9.12.1983,(मंगसर शु. 5 वि.सं.2040) |
मुनि दीक्षा स्थान | औरंगाबाद |
नाम | प. पु. मुनि श्री 108 विरागसागर जी |
मुनि दीक्षा गुरु | प. पु. आ.श्री 108 विमल सागर जी |
आचार्य पद | 8.11.1992,द्रोणगिरि (कार्तिक शु.13 वि.सं.2049) |
आचार्य पद स्थान | द्रोणगिरि |
संयमी सर्जन | आचार्य-9 मुनि - 85 गणिनी - 4 आर्यिका- 69 ऐलक-5 क्षुल्लक -23 क्षुल्लिका -32 |
समाधि संलेखना | लगभग 110 एवं अनेक तिर्यंच प्राणी |
साहित्य सृजन | 1.वाऱसाणुपेक्या पर 1100 पृष्ठीय सर्वोदयी संस्कृत टीका
2 रयणसार पर 800 पृष्ठीय रत्नत्रयवर्धिनी संस्कृत टीका 3. लिंग पाहुड पर श्रमण प्रबोधनी टीका 4. शील पाहुड पर श्रमण सम्बोधनी टीका 5. शास्त्र सार समुच्चय पर चूर्णी सूत्र 6 अनेक शोधात्मक (शुद्धोपयोग, सम्यक्दर्शन, आगमचक्खूसाहू आदि), चिन्तनीय बालकोपयोगी कथा अनुवाद गद्य संपादित साहित्य, जीवनी एवं प्रवचन साहित्य 150 से अधिक पुस्तके |
जाप्य | लगभग 3 करोड 75 लाख से अधिक |
व्रत | कर्मदहन, भक्तामर , णमोकार मंत्र, चरित्रशुद्धि, चौसठऋद्धि, दर्शन विशुद्धि, षट्ररसी व्रत, नीतिसार, वचनगुप्ति , अष्टमी चतुर्दशी नीरस , समवशरण व्रत आदि 26 व्रत उपवास व नीरस |
तप-त्याग | दही, तेल, बैर, करोंदा, टिंडा, जामुन, सभी हरी पत्ती,मटर छोड़ सभी फली, पपीता, कटहल,लवेडे, कद्दू,तरबूज, भिंडी,खुरबानी, सीताफल, रामफल, फालसा, अंगीठा, आलूबुखारा, चैरी, शक्करपारा, कुंदरू, स्ट्रॉबेरी आदि का आजीवन त्याग |
विशेष त्याग | कूलर, पंखा, लेपटाप, मोबाइल, हीटर,नेल कटर सन् 1985 से, थूखने का त्याग 1983 से |
शिविर | सम्यग्ज्ञान शिक्षिण शिविर, पूजन प्रशिक्षण शिविर, श्रावक संस्कार शिविर, प्रतिभा संस्कार शिविर |
अभियान | व्यसनमुक्ति अहिंसा शाकाहार एवं रैली (प्रतिवर्ष), जिसमे अनेक प्रांतों के कई लाख छात्र- छात्राये व्यसन मुक्त हो चुके है |
Sansari-Name | Shri Arvindkumar Jain (Tinnu) |
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Date of Birth | 2nd May, 1963(Veshak Sudi Navmi Vikram.Savant. 2020) |
Birth Place | Pathariya Dist. Damoh ( M.P.) |
Father’s Name | Shri Kapurchandji Jain (Samidisth Khullak Shree 105 VishwaVandh Sagar Ji Maharaj ) |
Mothers’s Name | Smt Shyamadevi Jain (Samidisth Shree 105 Vishantshree Mataji) |
Brothers | Shri VijayKumam, Shri SurendraKumar, Bal Brahamchari Shri Narendra Baiya |
Sisters | Smt. Meena Jain, Smt Vimla Jain |
Education | Inter (Pathariya, Shri Shanti Niketan, Digamber Jain Sanskrit Vidhyalaya, Katni (M.P.)) |
Khulak Diksha | 20th Feb 1980 (Falgun Shukla Panchmi Vikram Samvat 2036), Budhar , Shahdhol |
Name | Pujya Khullak 105 Shree Purnasagarji Maharaj |
Khulak Diksha Guru | Param Pujya Tapasvi Samrat Acharya Shri 108 Sanmati Sagar Ji Maharaj |
Muni Diksha | 09th Dec 1983 (Magsar Shukla 5, Vikram Samvat 2040), Aurangabad (Maharasthra) |
Name | Param Pujya Muni Shree 108 Virag Sagarji Maharaj |
Muni Diksha Guru | Param Pujya Vatsalya Divakar Acharya Shree 108 Vimalsagarji Maharaj |
Acharya Pad | 08th November 1992 (Kartik Shukla 13 Vikram Samvat 2041) Sunday, Dronagiri, Zila : Chatarput (M.P) |